बारिश और तुम
- Priya Mishra
- Jun 28, 2022
- 1 min read
Updated: Jul 29, 2024

वो पहली बारिश की बूंदों की तरह
वो गीली मिट्टी की खुशबू की तरह
वो सीने में धड़कते दिल की तरह
एक पहले एहसास की तरह हो तुम
आओ ले चालू तुम्हे मै कहीं दूर
इस पिंजरे से पहाड़ियों की वादियों में कहीं
जहा हर सुबह चिड़ियों की चेचाहट हो
तुम मुस्कुराओ खिले हुए फूल की तरह
और नाचो तितलियों की तरह
जहा चित भी तुम्हारी हो जहा पत भी तुम्हारा हो
ये गगन तुम्हारा ख्वाब हो, हर दिशा तुम्हारे साथ हो
मै हार जाऊ अपना सब बस तुम्हारे नैनो में खुशी की सौगात हो ।
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